Tuesday 13 March 2007

play days

जब मैं चोटी थी, मैं मेरे दादा और दादी के साथ मंबई में रहेती थीमेरी माँ बाप दुबई मे काम करते थेमंबई में मैं हवेलीयो के एक नगर मे रहेती थीयहां मेरी ऊमर के बोहोत बच्चे थेशाम को हम सब बहार आकर, आवाज और मस्ती करते थे। हर पवित्रता के लड़के औरे लडकीया ईक साथ खेलते थे।
१९९३ में मैं मंबई छोड़क
दुबई औरे कनाडा रहने के लिए गयी। २००५ में मैं छुट्टी के लिए मंबई गयी। दादा दादी अभी तक वहा रहते है। १५ साल के बाद ये नगर बहोत बदल गया है। मेरी सहेलीया और दोस्तो और ऊनके माँ बाप भी वहा नही रहते हे। वहा अभी नए लोक है। ईथ्ने बच्चे भी नही है। ये नगर अभी शाम को बोहोत शांत हे। जो भी बच्चे हे, बहार खेलने के लीए कोई अता नही। ईन दिनों में बच्चो को बहोत प्ढाई करना पडता है। जब मुझे ऊन दिनों की याद आती हे, मुजे खुशी होती हे और मैं जानथी हु की ईस नगर मे रहने का मोका मिलकर मैं बोहोत भाग्यवान हुं।

Sunday 11 March 2007

Namaste

अंग्रेजी हमारी पहेली बाशा हे, और ईस लिये मेरी हिन्दी ईतनी अचछी नही हे। अंग्रेजी और कोंकणी हमारी घर की बाशा हे। हिन्दी और मराठी मैने मंबई मे पदाई किई और मुजे ईन अधीन मे बुरा अंक मीलती थी। पता नही मै हिन्दी और मराठी में कैसी पास हो गई